प्रकृति_संरक्षण_को_समर्पित

               
अगस्त्य_के_पुष्प:-
(Sesbaniya_grandiflora)



साथियों !
 अक्टूबर के इस मदमस्त मौसम में आपका परिचय कराते हैं अगस्त से.. जी नही, अगस्त महीना नही,प्रकृति के एक अनमोल और दुर्लभ अगस्त्य वृक्ष से.. ☺

पर्यायवाची: अगस्त,अगस्त्य,अगति,मुनिदुम,मुनिपुष्प,वंगसेन आदि कुछ संस्कृत नाम हैं। हिंदी में हथिया अगथिया या अगस्त, बांग्ला में बक(बगुला),गुजराती में अगथियो, तेलगु में अनीसे, अविसि,तमिल में अगस्ति और सिंहली में कुतुर्मुरङ्ग कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में हमिंगबर्ड ट्री भी कहते हैं।
जन्मस्थान:- कुछ विद्वान कहते हैं की यह भारत में बाहर से लाया गया परन्तु सत्य यह है की इसी पेड़ के नीचे बैठ कर अगस्त्य ऋषि तपस्या करते थे इसलिए इसका नाम अगस्त्य पड़ा। चूँकि इसका वर्णन सुश्रुत में भी है। यह भारत में सभी नम और गर्म स्थानों पर पाया जाता है। अगस्त्य के पुष्प तारा नक्षत्र के उदय होने पर अक्टूबर से दिसंबर तक पुष्पित होता है और मार्च महीने तक फलता फूलता है।

गुण:-अगस्त्य के फूल सफेद अथवा गुलाबी रंग के होते हैं, जो शीत_ऋतु में लगते हैं।  इस पेड़ में आयरन, विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम व कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में होते हैं। विटामिन A, B और C से भरपूर इस पौधे के बीजों में 70% तेल  होता है। यह शीतल,वातकारक,रूक्ष और कड़वा होता है। यह स्वाद में फीका होता है।

आयुर्वेद:-आयुर्वेद के अनुसार अगस्त्य पेड़ शरीर से विषैले तत्वों को निकालने का काम करता है। इसके पंचांग (फूल, फल, पत्ते, जड़ व छाल) रस और सब्जी के रूप में प्रयोग होते हैं। पित्त,कफ,विषम ज्वर नाशक,प्रतिश्याय/खांसी-जुकाम,खून साफ़ करने वाला और मृगी नाशक है। यदि कफ बहुत बढ़ जाए तो शहद अथवा मूली के रस से इसका सेवन करते हैं। यदि आपको बुखार, कफ, सूजन, फुंसियां, संक्रमण, पेटदर्द, कीड़े व कब्ज जैसे रोगों हो गए है तो आप अगस्त्य पेड़ के पत्तों का 1-2 चम्मच रस 1 चम्मच शहद के साथ लेने से लाभ मिलेगा। इन 11 रोगों का है #रामबाण:-

  1.           मधुमेह(hypoglycemia)
  2.           कैंसर(tumors)
  3.           मोटापा(fat)
  4.           यूरिक एसिड(hypo_uricemic)
  5.           रक्ताल्पता(anemia)
  6.           रोग प्रतिरोधक(immunity)
  7.           लीवर(liver function)
  8.           उच्च रक्तचाप(high blood pressure)
  9.           संग्रहणी(IBS)
  10.           रतौंधी(Night Blindness)
  11.           स्मृति(Intellect)


धार्मिक_महत्व:-कहते हैं अगस्त्य के फूल से #शिव पूजा करने पर पद, सम्मान मिलता है। मगर चोरी से इस पुष्प को तोड़ने पर लाभ के स्थान पर घोर हानि होती है क्योंकि यह मुनिवृक्ष है। यह प्रेम से अधिक प्रतिष्ठा,पवित्रता और प्रयास के लिए माना जाता है। कुछ समुदाय विशेष (यथा मौर्या) गुलाबी पुष्प को पुरुष और सफेद पुष्प को स्त्री मानते हैं और विशेष प्रकार के अनुष्ठान द्वारा इनकी शादी करवाते हैं। अगस्त्य से सूर्य_पूजन भी किया जाता है।

महर्षि_अगस्त्य:- यह एक वैदिक ॠषि थे। ये #वशिष्ठ मुनि के बड़े भाई थे। उनका जन्म श्रावण शुक्ल पंचमी (तदनुसार 3000 ई.पू.) को #काशी में हुआ था। वर्तमान में यह स्थान अगस्त्यकुंड के नाम से प्रसिद्ध है। अगस्त्य की पत्नी #लोपामुद्रा विदर्भ देश की राजकुमारी थीं। अगस्त्य को सप्तर्षियों में से एक माना जाता है।
इनके जन्म की बेहद रोचक घटना है जिसे आप आज के परखनली_शिशु से जोड़ कर देख सकते हैं। ऋग्वेद का कथन है कि मित्र तथा वरुण नामक वेदताओं का अमोघ तेज एक दिव्य यज्ञीय कलश में पुंजीभूत हुआ और उसी कलश के मध्य भाग से दिव्य तेज:सम्पन्न महर्षि अगस्त्य का प्रादुर्भाव हुआ-

"सत्रे ह जाताविषिता नमोभि: कुंभे रेत: सिषिचतु: समानम्।
ततो ह मान उदियाय मध्यात् ततो ज्ञातमृषिमाहुर्वसिष्ठम्॥"

एक यज्ञ सत्र में उर्वशी भी सम्मिलित हुई थी। मित्र और वरुण ने उसकी ओर देखा तो इतने आसक्त हुए कि अपने वीर्य को रोक नहीं पाये। उर्वशी ने उपहासात्मक मुस्कराहट बिखेर दी। मित्र व् वरुण बहुत लज्जित हुए। कुंभ का स्थान, जल तथा कुंभ, सब ही अत्यंत पवित्र थे। यज्ञ के अंतराल में ही कुंभ में स्खलित वीर्य के कारण कुंभ से अगस्त्य, स्थल में वशिष्ठ तथा जक में मत्स्य का जन्म हुआ। उर्वशी इन तीनों की मानस_जननी मानी गयी।

व्यंजन:- अगस्त्य के विभिन्न व्यंजन बनते है, सब्जी,पकौड़े,अचार,गुलकंद,साग इत्यादि। यह बेहद स्वादिष्ट होता है और देश के विभिन्न स्थानों पर इसे भिन्न भिन्न भांति से भोजन के रूप में इस्तेमाल करता है।

तो आइये प्रकृति के इस अनुपम_उपहार_को_संरक्षित करें।
आप भी अपने घर के खाली जगह में अगस्त्य के पेड़ लगाये और तमाम पकवानों का आंनद लेते हुए बेहद जटिल_बीमारियों से घर के सदस्यों को बचाये।

देवयशो


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