चाँद देखा है आज

देखना!

एक बादल को पटरा बना कर..

चाँद को धुरी बना..

बच्चों की तरह..

see-saw खेलेंगे..

एक तरफ तुम बैठना,

एक तरफ मैं बैठूंगा..

और चाँद को सहारे के लिए तुम पकड़ना

तुम्हे सहारा दे सके, 

इसलिए थोड़ा सा चाँद मैं भी पकडूँगा..

तुम्हारे दुपट्टे  से उस सूरज को ढ़क देंगे..

ताकि सवेरा जल्दी न हो..

सवेरा होते ही तुम्हारे माथे पर एक बोसा लूँगा..

वैसे ही जैसे झुक कर तुम मेरे बोसे सम्भालती हो..

वैसे ही थोड़ा झुक जाना..

तुम्हारे दुपट्टे में कुछ सितारे टांक दूंगा.

और तोहफे में कुछ न दे पाया जो तुम्हे..

इस बार तोहफे में ..

यही चाँद ले लेना..

पूर्णिमा का चाँद..

हाथ से जैसे तुम रोटी बनाती हो..

कुछ वैसे ही उसे चिपटा कर दूंगा..

और चूम के चाँद को..

तुम्हारे माथे की बिंदी बना दूंगा..

पता है तुम कैसी लगोगी..

इस सवाल का यही जवाब है, 

इक सवाल सा जवाब..

मेरी रूहानगी सी !!


चाँद देखा है आज??

देवयशो

Comments

  1. चाँद देखा आज रात 12 बजे का..
    दिखी क्या
    मेरी ताकती निगाहें?

    ReplyDelete

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