पलाश!! तुम्हारा खत पढ़ा! पढ़ा,कई बार पढ़ा..! हर बार मेरी नज़र तुम्हारे लिखे हर्फ़ दर हर्फ़ को चूमती जाती हर बार मेरी नज़र तुम्हारे भरे ज़ज़्बात दर ज़ज़्बात चुनती जाती जब नज़रों ने भर लिया प्रेम अपार! पलाश! टपक पड़ी आँखे,गिरे बूँद हज़ार..! खत के आखिर में जहाँ मेरा नाम लिखा है और मेरे नाम पर तुम्हारे अधरों का रंग लगा है बेशक वो लाल रंग तुम्हारे पंखुडियों सी नाज़ुक नर्म होंठों के छुअन का प्यारा सा एहसास है वो हिस्सा हमेशा हमेशा मेरी रूह के पास है इस तरह! मेरे उस दस्तावेज को तुमने अग्रसारित कर दिया है पलाश! एक अदद उस कागज पर , सर्वस्व तुम्हारे नाम किया है एक अदद उस कागज़ पर हर जन्म तुम्हारे नाम किया है देवयशो 4 नवम्बर 2017
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एक वक़्त आता है..
एक वक़्त आता है...! एक वक़्त आता है, जब अंदर ही अंदर सब चुप हो जाता है.. न कोई रूह बोलती है, न तब दिल गुनगुनाता है, चुप हो जाती है ज़मी, आकाश खामोश हो जाता है, एक वक़्त आता है, जब अंदर ही अंदर सब चुप हो जाता है.. न कोई राह हँसती है, न तब वक़्त मुस्कुराता है, चुप हो जाती है घड़ी, इंतज़ार खामोश हो जाता है, एक वक़्त आता है, जब अंदर ही अंदर सब चुप हो जाता है.. तब आँखे दूर नज़र जमाये दरसल कुछ नही देखती, ये वो दौर होता है जब किसी के होने न होने का, फर्क नही पड़ता पर असर दिख जाता है.. जब ख्याल दूर तलक जाए पर कुछ भी नही सोचती, ये वो दौर होता है जब किसी के होने न होने का, अर्थ नही होता है पर कसर दिख जाता है.. नस्ले आदम ही हैं सब, देवता कोई नही, सबकी ज़िन्दगी में बुरा अच्छा सा ही सही.. एक वक़्त आता है, जब अंदर ही अंदर सब चुप हो जाता है.. देवयशो 👤🕊🌾
चाँद देखा आज रात 12 बजे का..
ReplyDeleteदिखी क्या
मेरी ताकती निगाहें?